प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओमान सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ ओमान” से अलंकृत किया है। यह सम्मान भारत और खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच लगातार मजबूत हो रहे कूटनीतिक और रणनीतिक रिश्तों को दर्शाता है। पीएम मोदी की आधिकारिक ओमान यात्रा के दौरान यह सम्मान प्रदान किया गया, जो उन्हें मिलने वाला 29वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेतृत्व भूमिका और भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को भी रेखांकित करती है।
ऑर्डर ऑफ ओमान: क्यों है यह सम्मान खास
“ऑर्डर ऑफ ओमान – फर्स्ट क्लास” ओमान का सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान माना जाता है। यह उन चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय नेताओं को दिया जाता है, जिन्होंने ओमान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा और मजबूती प्रदान की हो।
इससे पहले यह सम्मान महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय, नेल्सन मंडेला, जापान के सम्राट अकीहितो और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय जैसी विश्व की प्रतिष्ठित हस्तियों को मिल चुका है। प्रधानमंत्री मोदी का इस सूची में शामिल होना भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत करता है।
भारत–ओमान संबंधों में आई नई रणनीतिक ऊर्जा
भारत और ओमान के बीच व्यापार, समुद्री संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का रिश्ता सदियों पुराना है। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोध और बंदरगाह विकास जैसे अहम क्षेत्रों में साझेदारी को और गहरा किया है।
ओमान में रहने वाला बड़ा भारतीय समुदाय भी दोनों देशों के सामाजिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है और आपसी विश्वास को बनाए रखता है।
CEPA समझौता और भविष्य की दिशा
इस सम्मान के साथ-साथ भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर भी हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में संपन्न हुआ, जिससे व्यापार और निवेश को नई गति मिलने की उम्मीद है।
CEPA के तहत भारत को वस्त्र, रसायन और इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे क्षेत्रों में बेहतर और शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच मिलेगी। वहीं, ओमान में भारतीय निवेश को खासतौर पर लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा तीन देशों के दौरे का अंतिम चरण थी, जिसमें जॉर्डन और इथियोपिया भी शामिल थे। यह दौरा पश्चिम एशिया और अफ्रीका के साथ भारत की बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता और ग्लोबल साउथ के साथ सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
