भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बिल ऑफ लेडिंग विधेयक, 2025 को पारित किया है, जिससे 169 साल पुराने Indian Bills of Lading Act, 1856 को प्रतिस्थापित किया जाएगा। यह विधेयक भारत के समुद्री व्यापार ढांचे को आधुनिक वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है।
विधेयक 2025 की मुख्य बातें:
- औपनिवेशिक कानून का अंत– अब 1856 के ब्रिटिश कालीन कानून को हटाकर भारत को एक नया, सरल, स्पष्ट और आधुनिक विधायी ढांचा मिला है।
- सरल भाषा, आसान प्रक्रिया– नए विधेयक की भाषा को सरल और प्रासंगिक बनाया गया है, जिससे व्यापारी, लॉजिस्टिक कंपनियाँ और कानूनी पेशेवर इसे आसानी से समझ सकें।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल– यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग प्रथाओं और दस्तावेज़ीकरण से मेल खाता है, जिससे भारत का समुद्री व्यापार वैश्विक बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।
- केंद्र को कार्यान्वयन अधिकार– अब केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने और नियम बनाने का अधिकार होगा, जिससे शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा।
- विवादों में कमी– अधिकारों और उत्तरदायित्वों को स्पष्ट कर दिया गया है, जिससे अदालती मामलों में कमी आने की संभावना है।
राष्ट्रीय महत्व
- यह विधेयक “विकसित भारत 2047” के विजन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- Ease of Doing Business रैंकिंग में भारत की स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।
- समुद्री क्षेत्र में व्यापारिक विश्वास, निवेश और गति बढ़ेगी।
- यह भारत के औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति के अभियान को भी मजबूती देता है।
बिल ऑफ लेडिंग विधेयक, 2025 न केवल एक कानूनी सुधार है, बल्कि यह भारत के समुद्री व्यापार को डिजिटल, तेज और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। यह विधेयक आने वाले वर्षों में भारत को “शिपिंग सुपरपावर” बनाने में एक मजबूत नींव सिद्ध हो सकता है।