प्रस्तावना:
भारतीय इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की जोड़ी एक असाधारण उदाहरण है कि कैसे नीति, कूटनीति और नेतृत्व एक शक्तिशाली साम्राज्य की नींव रख सकते हैं। चंद्रगुप्त मौर्य जहां भारत का प्रथम सम्राट बना, वहीं चाणक्य ने उसे नीति, प्रशासन और राजनीति की शिक्षा देकर एक युग निर्माता बना दिया।
चंद्रगुप्त मौर्य – एक साधारण से सम्राट तक:
- जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ (कुछ मतानुसार मौर्य वंश के क्षत्रिय थे, तो कुछ के अनुसार शूद्र-वर्ग से थे)।
- चंद्रगुप्त में नेतृत्व, साहस और रणनीति की अद्भुत क्षमता थी।
- नंद वंश के अत्याचारी शासन के विरुद्ध संघर्ष कर चंद्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की।
चाणक्य – राजनीति और कूटनीति के आचार्य:
- तक्षशिला विश्वविद्यालय के विद्वान ब्राह्मण
- अर्थशास्त्र और राजनीति में निपुण
- चंद्रगुप्त को राजनीति की शिक्षा दी और उसे सत्ता तक पहुँचाया
- ‘अर्थशास्त्र’ ग्रंथ की रचना – आज भी नीति और प्रशासन का महान स्रोत
- “चाणक्य नीति” आज भी प्रेरणास्रोत मानी जाती है
चंद्रगुप्त और चाणक्य की साझेदारी:
- चाणक्य ने नंद वंश को नष्ट करने की योजना बनाई
- चंद्रगुप्त को प्रशिक्षित कर राजनीति में उतारा
- सैन्य अभियान, खुफिया तंत्र, जनसंपर्क – सब में चाणक्य की रणनीति शामिल थी
- पाटलिपुत्र विजय के बाद चंद्रगुप्त ने चाणक्य को प्रधानमंत्री (मंत्री-प्रमुख) बनाया
सेल्यूकस निकेटर से संघर्ष:
- सिकंदर की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी सेल्यूकस ने पश्चिमी भारत पर अधिकार जताया
- चंद्रगुप्त ने उसे पराजित कर सिंध और अफगानिस्तान तक का क्षेत्र अपने साम्राज्य में मिला लिया
- सेल्यूकस की पुत्री से चंद्रगुप्त का विवाह हुआ, और एक संधि के माध्यम से राजनीतिक स्थायित्व आया
चंद्रगुप्त का जैन धर्म की ओर झुकाव:
- जीवन के अंतिम चरण में उन्होंने जैन धर्म स्वीकार किया
- भद्रबाहु नामक जैन मुनि के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) चले गए
- वहीं ध्यान और तपस्या करते हुए उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया
चाणक्य का उत्तरार्द्ध:
- चाणक्य ने बिंदुसार के शासनकाल तक प्रशासनिक भूमिका निभाई
- अंत में राजनीतिक षड्यंत्रों के कारण उन्हें दरबार छोड़ना पड़ा
- किंवदंतियों के अनुसार उन्होंने तपस्वी जीवन जीते हुए शरीर त्यागा
इनकी विरासत:
- चंद्रगुप्त: भारत का पहला सम्राट जिसने एकीकृत अखंड भारत की नींव रखी
- चाणक्य: भारतीय कूटनीति और अर्थनीति का शाश्वत प्रतीक
- इन दोनों की जोड़ी आज भी राष्ट्र निर्माण और नेतृत्व के सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में जानी जाती है
निष्कर्ष:
चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की मित्रता, सहयोग और साझा दृष्टिकोण ने न केवल एक महान साम्राज्य की नींव रखी, बल्कि भारतीय इतिहास में ऐसी प्रेरक गाथा लिखी, जो आज भी राजनीति, प्रशासन और नेतृत्व के लिए प्रेरणादायक है।