पलामू का प्रथम सांसद : जेठन सिंह खरवार का जीवन परिचय

विषय सूची

भारत की आज़ादी के बाद जब 1952 में पहला आम चुनाव हुआ, तब पूरे देश में लोकतंत्र की नींव पड़ी। इसी ऐतिहासिक चुनाव में पलामू लोकसभा क्षेत्र से प्रथम सांसद के रूप में श्री जेठन सिंह चुने गए। जेठन सिंह सिर्फ एक सांसद ही नहीं बल्कि किसानों, मज़दूरों और गरीब जनता की आवाज़ थे। उनका नाम आज भी पलामू के इतिहास और राजनीति में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

जेठन सिंह का प्रारंभिक जीवन

  • जेठन सिंह का जन्म झारखंड (तत्कालीन बिहार) के पलामू जिले के एक साधारण ग्रामीण परिवार में हुआ।
  • बचपन से ही उन्होंने किसानों और मजदूरों की कठिनाइयों को देखा।
  • सादगी, ईमानदारी और जनसेवा का भाव उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान थी।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

  • जेठन सिंह महात्मा गांधी और कांग्रेस के विचारों से प्रेरित थे।
  • उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया और ग्रामीण जनता को संगठित किया।
  • उनकी सक्रियता ने उन्हें स्थानीय स्तर पर एक लोकप्रिय नेता बना दिया।

प्रथम आम चुनाव और सांसद बनना

  • 1952 के पहले आम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें पलामू से उम्मीदवार बनाया।
  • जनता ने उन्हें अपना सच्चा प्रतिनिधि मानते हुए संसद भेजा।
  • इस तरह वे पलामू के पहले सांसद (First MP of Palamu) बने।

संसदीय जीवन और योगदान

जेठन सिंह का संसदीय कार्यकाल जनता की समस्याओं पर आधारित था।

  • किसानों के लिए सिंचाई और खेती की सुविधाओं की मांग की।
  • ग्रामीण शिक्षा और स्कूलों के प्रसार पर जोर दिया।
  • सड़क और परिवहन के साधनों की कमी को संसद में उठाया।
  • पलामू जैसे पिछड़े क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की आवाज़ उठाई।

व्यक्तित्व और कार्यशैली

  • जेठन सिंह बेहद सरल और ईमानदार नेता थे।
  • वे अक्सर गाँव-गाँव जाकर जनता की समस्याएँ सुनते थे।
  • उनकी पहचान “गाँव और गरीबों के नेता” के रूप में थी।

विरासत

  • जेठन सिंह का नाम पलामू की राजनीति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
  • वे पलामू के पहले सांसद होने के साथ-साथ ईमानदार और सेवा-भावी जननायक थे।
  • उनकी विरासत आने वाली पीढ़ी को राजनीति में सेवा और ईमानदारी का संदेश देती है।

पलामू का प्रथम सांसद जेठन सिंह केवल एक राजनीतिक चेहरा नहीं थे, बल्कि वे जनता के सच्चे सेवक थे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीति का असली उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि समाज की सेवा है। आज भी पलामू की जनता उन्हें गर्व और सम्मान के साथ याद करती है।

Telegram
Facebook
WhatsApp