झारखंड सरकार ने प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स के हितों की रक्षा के लिए एक अहम पहल की है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद ‘झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) कानून, 2025’ को लागू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। यह कानून राज्य में काम कर रहे गिग श्रमिकों को संगठित कल्याण व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस कानून से गिग इकॉनमी में काम कर रहे हजारों श्रमिकों को पहचान, सुरक्षा और अधिकार मिलने की उम्मीद है।
कानून का उद्देश्य और लागू होने का क्षेत्र
इस कानून का प्रमुख उद्देश्य गिग और प्लेटफॉर्म आधारित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक संरक्षण और कल्याण सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार का मानना है कि एक साझा और संगठित ढांचा बनने से इन श्रमिकों की कार्य स्थितियों पर निगरानी आसान होगी।
यह कानून उन सभी श्रमिकों पर लागू होगा जो डिजिटल प्लेटफॉर्म या एग्रीगेटर्स के माध्यम से डिलीवरी, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और अन्य ऑन-डिमांड सेवाओं में कार्यरत हैं। इससे पहली बार गिग वर्क को औपचारिक मान्यता मिलने का रास्ता साफ हुआ है।
गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड और पंजीकरण व्यवस्था
कानून के तहत गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष राज्य के श्रम मंत्री होंगे, जबकि श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य नामित सदस्य सीमित अवधि के लिए शामिल किए जाएंगे।
यह बोर्ड गिग श्रमिकों और सेवा प्रदाता प्लेटफॉर्म्स का पंजीकरण करेगा। पंजीकृत श्रमिकों को पहचान पत्र दिए जाएंगे और सभी कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी भी बोर्ड के माध्यम से की जाएगी। राज्य में कार्यरत सभी एग्रीगेटर्स के लिए बोर्ड में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और दंड का प्रावधान
इस कानून में गिग श्रमिकों के लिए उनके काम की प्रकृति और समय के अनुसार न्यूनतम पारिश्रमिक तय करने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाएं भी लागू की जाएंगी।
यदि कोई प्लेटफॉर्म या एग्रीगेटर कानून के नियमों का पालन नहीं करता है, तो उस पर ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह प्रावधान सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारी तय करने के साथ-साथ श्रमिकों की आय और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
क्यों है यह कानून खास
झारखंड पूर्वी भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने गिग वर्कर्स के लिए समर्पित कल्याणकारी कानून तैयार किया है। गिग वर्कर्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह कदम समय की आवश्यकता माना जा रहा था।
इस कानून के लागू होने से न केवल गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि राज्य गिग इकॉनमी को एक व्यवस्थित और संरचित स्वरूप देने की दिशा में भी आगे बढ़ेगा। आने वाले समय में इससे हजारों श्रमिकों के जीवन और कामकाजी हालात में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।
