गोरखपुर में बनेगा भारत का पहला वन विश्वविद्यालय: वानिकी, पर्यावरण और वन्यजीव शिक्षा को मिलेगी नई दिशा

उत्तर प्रदेश देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। गोरखपुर जिले में भारत का पहला पूर्णतः समर्पित वन विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा। यह संस्थान वानिकी, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा व शोध को नई ऊँचाई देने का कार्य करेगा। इसे पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

India's first forest university will be built in Gorakhpur.

गोरखपुर में प्रस्तावित विश्वविद्यालय का स्थान और परिसर

प्रस्तावित वन विश्वविद्यालय गोरखपुर में लगभग 125 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाएगा। यह क्षेत्र जटायू संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के पास स्थित है, जिसे जैव विविधता संरक्षण के लिए पहले से महत्वपूर्ण माना जाता है। भूमि स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्रशासनिक मंजूरी के बाद परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।

इस स्थान का चयन शैक्षणिक और पर्यावरणीय दोनों दृष्टि से उपयुक्त माना गया है, जिससे छात्रों को प्राकृतिक परिवेश में अध्ययन का अवसर मिल सके।

शैक्षणिक उद्देश्य और अध्ययन के प्रमुख क्षेत्र

यह विश्वविद्यालय पूरी तरह वानिकी विज्ञान पर केंद्रित होगा। यहाँ वानिकी, सामाजिक वानिकी, कृषि वानिकी, बागवानी, वन्यजीव अध्ययन, पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय सततता जैसे विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी।

अन्य पारंपरिक विश्वविद्यालयों की तुलना में यह संस्थान फील्ड-आधारित शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण पर विशेष जोर देगा। छात्रों को प्रकृति के बीच रहकर अनुसंधान और प्रयोग करने का अवसर मिलेगा।

सरकारी पहल और वित्तीय प्रावधान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना को पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक वन प्रबंधन के लिए दक्ष मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है। उत्तर प्रदेश बजट 2024 में इस परियोजना के लिए ₹50 करोड़ की प्रारंभिक राशि स्वीकृत की गई है।

विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित कानून का मसौदा अंतिम चरण में है। इसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

आधारभूत ढांचा और राष्ट्रीय महत्व

वन विश्वविद्यालय में लगभग 500 छात्रों के लिए आधुनिक छात्रावास, पुरुष व महिला हॉस्टल, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ, स्मार्ट कक्षाएँ, ऑडिटोरियम, खेल सुविधाएँ और शिक्षकों के लिए आवासीय परिसर विकसित किया जाएगा।

परियोजना पूर्ण होने के बाद यह संस्थान देशभर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करेगा। यह विश्वविद्यालय भविष्य में वन शिक्षा, जैव विविधता अनुसंधान और संरक्षण प्रशिक्षण का राष्ट्रीय केंद्र बन सकता है, जिससे भारत की पर्यावरणीय सुरक्षा और सतत वन प्रबंधन को नई मजबूती मिलेगी।

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