प्रस्तावना
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का पहला बड़ा साम्राज्य था, जिसने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को एक राजनीतिक इकाई के रूप में संगठित किया। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी, लेकिन इसे सर्वोच्च शिखर तक पहुँचाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। अशोक न केवल एक विजेता राजा थे, बल्कि युद्ध के बाद अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलने वाले युगांतरकारी शासक भी बने।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना
- स्थापक: चंद्रगुप्त मौर्य (321 ईसा पूर्व)
- मंत्रदाता: आचार्य चाणक्य (कोटिल्य / विष्णुगुप्त)
- राजधानी: पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना)
- चंद्रगुप्त ने नंद वंश को पराजित कर इस साम्राज्य की नींव रखी।
महान शासक: सम्राट अशोक
- राज्यारोहण: लगभग 268 ईसा पूर्व
- कलिंग युद्ध: लगभग 261 ईसा पूर्व
- इस युद्ध ने अशोक के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।
- युद्ध में हजारों की मृत्यु और रक्तपात देखकर उन्होंने धम्म (बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों) को अपनाया।
अशोक का धम्म (Dhamma)
- अहिंसा, सहिष्णुता, धार्मिक सह-अस्तित्व पर आधारित विचारधारा
- जनकल्याण के कार्य:
- सड़कें, कुएं, धर्मशालाएं
- पशु चिकित्सा केंद्र
- महिलाओं और बच्चों के लिए सुविधाएँ
- शिलालेख और स्तंभ:
- अशोक ने अपने संदेशों को ब्राह्मी लिपि में पत्थरों पर खुदवाया।
- प्रमुख स्तंभ: सांची, सारनाथ, लौरीया-नंदनगढ़, दिल्ली का अशोक स्तंभ
अशोक और बौद्ध धर्म
- तीसरी बौद्ध सभा (लगभग 250 ई.पू.) का आयोजन
- बौद्ध धर्म का प्रचार:
- अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा
- अफगानिस्तान, नेपाल, दक्षिण भारत और मध्य एशिया तक बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ
मौर्य प्रशासन व्यवस्था
- केन्द्रीयकृत शासन प्रणाली
- गाँव से लेकर राजधानी तक प्रशासनिक व्यवस्था
- कर प्रणाली, सुरक्षा बल, गुप्तचर तंत्र विकसित
मौर्य साम्राज्य का पतन
- अशोक की मृत्यु के बाद शासकों की कमजोरी
- ब्राह्मणों और क्षत्रियों के असंतोष
- 185 ई.पू. में अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की
निष्कर्ष
मौर्य साम्राज्य भारतीय एकता, संगठन और सांस्कृतिक विस्तार का प्रतीक था। सम्राट अशोक ने भारतीय शासन प्रणाली को नैतिकता, धर्म और अहिंसा से जोड़ने का महान कार्य किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सम्राट वही होता है जो युद्ध नहीं, बल्कि मानवता को जीतता है।