बॉर्डर पर तैनात जवानों के परिवारों को अब नहीं लड़नी पड़ेगी अकेले कानूनी जंग – लॉन्च हुई ‘NALSA वीर परिवार योजना 2025’

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देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे बहादुर जवानों को अब इस बात की चिंता नहीं करनी पड़ेगी कि उनके पीछे घरवालों को किसी कानूनी लड़ाई में अकेले जूझना पड़ेगा। पहली बार भारत में सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के परिवारों को बिना मांगे कानूनी मदद देने के लिए एक बड़ी और ऐतिहासिक पहल की गई है – नाम है ‘NALSA वीर परिवार सहायता योजना 2025’। इसकी औपचारिक शुरुआत आज श्रीनगर में हुई।

इस पहल का भावनात्मक और दमदार संदेश है:
“आप देश की सीमा पर डटे रहें, हम आपके परिवार का साथ देंगे।”

न्यायपालिका का भावनात्मक जुड़ाव, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ बनी प्रेरणा

इस योजना की नींव न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक गहरी समझ और भावनात्मक जुड़ाव से पड़ी। सूत्रों के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान जब उन्होंने सैनिकों की ज़िंदगी और उनके बलिदान को बेहद करीब से देखा, तो यह सोच बनी कि अब न्यायपालिका को भी आगे आना चाहिए – खासकर उनके परिवारों के लिए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं, ने इस योजना का उद्घाटन किया। उनके साथ केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा:
“जब एक जवान सीमा पर तैनात होता है, तो उसे यह भरोसा होना चाहिए कि उसके घरवालों के अधिकारों की रक्षा देश की न्यायपालिका करेगी।”

क्या-क्या मिलेगा इस योजना के तहत?

  • फ्री लीगल हेल्प: सैनिकों के परिवारों को संपत्ति विवाद, पारिवारिक झगड़े, ज़मीन-जायदाद, लोन या अन्य कानूनी मुद्दों में मुफ्त में कानूनी सलाह और मदद दी जाएगी।
  • कोर्ट में न होगी जरूरत जवान की मौजूदगी की: अगर कोई मामला कोर्ट में है, तो जवान की गैरहाजिरी में प्रशिक्षित वकील उनका प्रतिनिधित्व करेंगे।
  • संपर्क में रहेंगे जिला स्तर पर: देशभर के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के जरिए हेल्पलाइन और स्पेशल लीगल कैंप लगाए जाएंगे।
  • सभी अर्धसैनिक बल शामिल: भारतीय सेना के साथ-साथ BSF, CRPF, ITBP और अन्य फोर्सेज के जवानों के परिवार इस स्कीम का फायदा ले सकेंगे।
  • प्रोऐक्टिव अप्रोच: जरूरत का इंतज़ार नहीं किया जाएगा, बल्कि जिन परिवारों को कानूनी मदद की ज़रूरत है, उन्हें पहले से चिन्हित कर सहायता दी जाएगी।

क्यों है ये योजना खास?

इस पहल ने एक नई मिसाल कायम की है – ये सिर्फ एक योजना नहीं, एक भरोसा है जो देश की न्यायपालिका सैनिकों को दे रही है। अब जब देश के जवान बॉर्डर पर देश की रक्षा में जुटे होंगे, तो उनके दिल को सुकून होगा कि उनके घरवाले किसी कानूनी मुसीबत में अकेले नहीं हैं।

 

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