शिबू सोरेन की जीवनी | Shibu Soren biography in Hindi

विषय सूची

शिबू सोरेन की जीवनी (Shibu Soren biography in Hindi) – जन्म, शिक्षा, राजनीतिक करियर, झारखंड आंदोलन, मुख्यमंत्री पद, विवाद और उपलब्धियां। जानिए दिशोम गुरु की पूरी कहानी।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

परिचय – शिबू सोरेन कौन थे?

शिबू सोरेन की जीवनी भारतीय राजनीति के उस चेहरे की कहानी है, जिसने आदिवासी समुदाय के अधिकार और सम्मान के लिए जीवन भर संघर्ष किया। हम देखेंगे कि किस तरह वे “दिशोम गुरु” के रूप में प्रसिद्ध हुए, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का गठन किया, और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 11 जनवरी 1944, नेमरा गाँव, जिला हजारीबाग (अब रामगढ़), राज्य – झारखंड
  • समुदाय: संथाल जनजाति
  • पिता की हत्या के बाद कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी संभाली
  • प्रारंभिक शिक्षा गांव में; सामाजिक संघर्षों के कारण आगे की पढ़ाई अधूरी
    शिबू सोरेन की जीवनी का यह दौर उनके भीतर नेतृत्व और संघर्ष की भावना जगाने वाला था।

झारखंड आंदोलन और JMM की स्थापना

  • 18 साल की उम्र में संथाल नवयुवक संघ की स्थापना
  • 1972–73 में ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना
  • अलग झारखंड राज्य और आदिवासी अधिकारों के लिए बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया, यह अध्याय उनके जीवन का सबसे प्रेरणादायक हिस्सा है, जहाँ उन्होंने जनता को एकजुट किया।

राजनीतिक सफर और उपलब्धियां

सांसद के रूप में

  • 8 बार लोकसभा सांसद (1980, 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009, 2014)
  • 3 बार राज्यसभा सांसद
  • तीन कार्यकाल तक केंद्रीय कोयला मंत्री

मुख्यमंत्री के रूप में

  • पहली बार: 2–12 मार्च 2005 (10 दिन का कार्यकाल)
  • दूसरी बार: 27 अगस्त 2008 – 18 जनवरी 2009
  • तीसरी बार: 30 दिसंबर 2009 – 31 मई 2010
    शिबू सोरेन की जीवनी में मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा आदिवासी हितों के लिए आवाज उठाई।

विवाद और चुनौतियां

  • 1975 के चिरूड़ीह हत्याकांड में नाम (बाद में बरी)
  • 2006 में शशिनाथ झा हत्या मामले में दोषी करार (2007 में बरी)
  • यह हिस्सा दिखाता है कि किस तरह उन्होंने विवादों और कानूनी चुनौतियों के बीच भी राजनीति जारी रखी।

सम्मान और पहचान

  • दिशोम गुरु” का उपनाम
  • झारखंड राज्य के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका
  • आदिवासी समुदाय में अत्यधिक सम्मानित

निधन और विरासत

    4 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में 81 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। झारखंड सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
    शिबू सोरेन की जीवनी का यह अंतिम अध्याय बताता है कि उनका योगदान झारखंड और भारत के राजनीतिक इतिहास में अमर रहेगा।

    निष्कर्ष

    शिबू सोरेन की जीवनी हमें यह सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए। दिशोम गुरु ने जीवनभर आदिवासी समाज के हक के लिए संघर्ष किया और एक स्थायी विरासत छोड़ गए।

    Telegram
    Facebook
    WhatsApp