पलामू का श्याम सुंदर हाथी, शेरशाह सूरी और सफेद हाथी की कहानी

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भारत के इतिहास में हाथियों को हमेशा शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि कई शासकों ने दुर्लभ और विशेष हाथियों को अपने दरबार की शान बनाया।

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पलामू का सफेद हाथी “श्याम सुंदर” ऐसी ही एक ऐतिहासिक कथा का हिस्सा है, जिसमें महान अफगान सम्राट शेरशाह सूरी की महत्त्वाकांक्षा और सैन्य शक्ति की झलक मिलती है।

शेरशाह सूरी और हुमायूँ का टकराव

लगभग 400 वर्ष पहले, अफगान सम्राट शेरशाह सूरी का साम्राज्य बिहार से दिल्ली तक फैल चुका था। मुग़ल सम्राट हुमायूँ और शेरशाह के बीच युद्ध अवश्यंभावी हो चुका था।

शेरशाह युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ था, लेकिन उसका मन भाग्यशाली हाथी पाने की चाह में भी उलझा था।

पलामू का सफेद हाथी – श्याम सुंदर

शेरशाह को खबर मिली कि झारखंड के पलामू (तब दक्षिण बिहार) में चेरो राजा महारत चेरो के पास एक सफेद हाथी है, जिसका नाम श्याम सुंदर है। कहा जाता था कि यह हाथी चेरो साम्राज्य का भाग्य बढ़ाने वाला है। इसके बारे में कहा जाता है की वह अपने माथे पर कभी धुल बैठने नहीं देता था।

शेरशाह के मन में विश्वास बैठ गया कि यदि यह हाथी उसके पास आ जाए, तो उसकी शक्ति और भाग्य दोनों अपराजेय हो जाएंगे।

ख़्वास खान का पहला अभियान – असफल

शेरशाह ने अपने शक्तिशाली सेनापति ख़्वास खान को आदेश दिया कि वे पलामू पहुँचकर चेरो राजा को पराजित करें और श्याम सुंदर को ले आएं।

  • ख़्वास खान सेना लेकर पलामू पहुँचे, लेकिन तभी चौसा की निर्णायक लड़ाई का समय आ गया।
  • सेना को वापस लौटना पड़ा और श्याम सुंदर हाथ नहीं लग सका।

ख़्वास खान का दूसरा अभियान – सफल

हुमायूँ पर विजय के बाद शेरशाह ने दोबारा ख़्वास खान को 4000 घुड़सवारों के साथ पलामू भेजा।

  • सेना ने नदी पार कर महारत चेरो के गढ़ पर हमला किया
  • चेरो राजा को पराजित किया गया और सफेद हाथी श्याम सुंदर को जीतकर शेरशाह के पास लाया गया।

शेरशाह इस सफलता से अत्यंत प्रसन्न हुआ और इसे अपने जीवन के श्रेष्ठ अभियानों में से एक माना।

क्या यह घटना वास्तविक थी?

कुछ इतिहासकार इस घटना को किंवदंती (Legend) मानते हैं और मानते हैं कि युद्ध के पीछे केवल हाथी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक कारण भी थे।

  • फिर भी, भारतीय इतिहास में सफेद हाथियों की कहानियाँ केरल से लेकर झारखंड तक प्रचलित हैं।
  • इन्हें सत्ता, सौभाग्य और विजय का प्रतीक माना गया।

मुख्य तथ्य (Quick Facts)

  • घटना का समय: लगभग 1540 ई. के आसपास
  • शासक: शेरशाह सूरी (अफगान सम्राट)
  • स्थानीय राजा: महारत चेरो (चेरो वंश, पलामू)
  • हाथी का नाम: श्याम सुंदर (सफेद हाथी)
  • अभियान के सेनापति: ख़्वास खान
  • परिणाम: शेरशाह ने सफेद हाथी प्राप्त किया
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