शुंग वंश का इतिहास

विषय सूची

प्रस्तावना:

शुंग वंश की स्थापना मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद हुई थी। यह वंश न केवल ब्राह्मण धर्म के पुनरुत्थान का प्रतीक बना, बल्कि उसने विदेशी आक्रमणों से भी उत्तर भारत की रक्षा की। पुष्यमित्र शुंग, इस वंश का संस्थापक, एक शक्तिशाली सेनापति था जिसने ब्राह्मण धर्म के संरक्षण के साथ-साथ शासन को भी संगठित किया।

शुंग वंश की स्थापना:

  • पुष्यमित्र शुंग, बृहद्रथ मौर्य का सेनापति था
  • उसने 185 ई.पू. में बृहद्रथ की हत्या कर मौर्य वंश का अंत कर दिया
  • स्वयं को शासक घोषित कर शुंग वंश की नींव रखी
  • राजधानी: पाटलिपुत्र

पुष्यमित्र शुंग:

  • प्रारंभिक शासनकाल संघर्षपूर्ण रहा
  • यवन (ग्रीक आक्रमणकारियों) को हराकर भारत की रक्षा की
  • पाटलिपुत्र में अश्वमेध यज्ञ कर ब्राह्मण सत्ता को पुनः स्थापित किया
  • बौद्ध धर्म के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण था

शुंग वंश के शासक:

शासक का नामशासनकालविशेषता
पुष्यमित्र शुंग185–149 ई.पू.यवनों को हराया, अश्वमेध यज्ञ कराया
अग्निमित्र शुंग149–141 ई.पू.कालिदास की नाटक ‘मालविकाग्निमित्रम्’ से प्रसिद्ध
वसुमित्रयवनों से पुनः संघर्ष, विजय प्राप्त की
बाद के शासककमजोर शासक, धीरे-धीरे सत्ता क्षीण हुई

विदेशी आक्रमण और संघर्ष:

  • इंडो-यवन (Indo-Greek) लगातार भारत पर हमला कर रहे थे
  • पुष्यमित्र और उसके उत्तराधिकारियों ने उन्हें मथुरा और पंजाब तक सीमित कर दिया
  • यह भारत के लिए सांस्कृतिक और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था

धर्म और संस्कृति:

  • शुंग वंश ने ब्राह्मण धर्म और वैदिक परंपराओं को पुनः जीवित किया
  • यज्ञों और वेदों को महत्व मिला
  • बौद्ध धर्म के प्रति उदासीनता और कहीं-कहीं विरोध
  • फिर भी सांची स्तूप का पुनर्निर्माण शुंग काल में हुआ

कला और वास्तुकला:

  • सांची और भारहुत में स्थापत्य कला का विकास
  • शुंग काल की मूर्तियाँ बारीक नक्काशी और धार्मिक भावनाओं से परिपूर्ण थीं
  • ‘शुंग कला’ भारत की प्राचीन कला परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है

शुंग वंश का पतन:

  • अंतिम शुंग शासक देवभूति था
  • उसके मंत्री वासुदेव कण्व ने उसकी हत्या कर कण्व वंश की स्थापना की
  • इस प्रकार लगभग 73 ई.पू. में शुंग वंश का अंत हुआ

निष्कर्ष:

शुंग वंश एक संक्रमणकालीन शासन था जिसने मौर्य साम्राज्य के बाद उत्तर भारत में स्थिरता प्रदान की। इस वंश ने ब्राह्मण परंपराओं का पुनरुद्धार किया, विदेशी आक्रमणों से देश की रक्षा की और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया।

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